दोस्तों आज मैं इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आपको सौर मंडल में मौजूद धूमकेतु (Comet) के बारे में जानकारी देने जा रहा हूँ। आपलोगों में सभी ने धूमकेतु का नाम जरूर सुना होगा और आप में से बहुतों को इसकी जानकारी भी होगी, अगर नहीं तो आईये विस्तृत रूप से जानते हैं - धूमकेतु क्या है?
धूमकेतु क्या है (What is Comet)?
धूमकेतु सौर मंडल में मौजूद एक ऐसा ठोस आकार है, जो सौर मंडल में मौजूद मुख्य ग्रहों की तरह ही अपने कक्ष (Orbit) में सूर्य की परिक्रमा करतें हैं। खगोल वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार इनका निर्माण आज से लगभग 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व सौर मंडल के निर्माण के समय सौर मंडल के गठन के बाद बचे हुए चट्टान, बर्फ, धुल, और गैस के अवशेषों के गठन से हुआ है, और ये मुख्यतः सौर मंडल के बाहरी क्षेत्र या वरुण (Neptune) ग्रह से परे काइपर घेरे (Kuiper belt) से सूर्य की परिक्रमा करने के दौरान सौर मंडल में प्रवेश करते हैं ।
धूमकेतु की संख्या, नामकरण, आकार, और परिक्रमण काल
अनुमानतः सौर मंडल के बाहरी क्षेत्र या वरूण (Neptune) ग्रह से परे काइपर घेरे (Kuiper belt) में धूमकेतुओं की संख्या अरबों में है, परन्तु वर्तमान में ज्ञात धूमकेतुओं की संख्या 3,658 है, और ये सभी लगभग औसतन 6 से 200 वर्ष के बिच सूर्य के चारों ओर अपनी एक परिक्रमा पूरी करते हैं।
इनका आकार सामान्यतः एक छोटे शहर के आकार के बराबर होता है, या इनकी त्रिज्या (Radius) औसतन 350 मीटर से 30 किलोमीटर के बिच होती है। दोस्तों ज्ञात धूमकेतुओं का नामकरण सामान्यतः इसकी खोज करने वाले व्यक्ति या अंतरिक्ष यान के नाम पर किया गया है, जैसे सबसे प्रसिद्ध धूमकेतु Halley का नाम इसकी खोज करने वाले प्रसिद्ध ब्रिटिश खगोल वैज्ञानिक Edmond Halley के नाम पर रखा गया।
धूमकेतु का चमकना (Glowing of Comet)
दोस्तों धूमकेतु एक अंडाकार पथ पर सूर्य के चारों ओर सूर्य की परिक्रमा करतें हैं, और अपने परिक्रमण काल के दौरान जब इनके और सूर्य के बीच की दुरी कम हो जाती है या जब ये सूर्य के नजदीक आतें है, तो इसके नाभि में मौजूद जमे बर्फ सूर्य की गर्मी के कारण पिघलने के बाद इसके बाहरी सतह में मौजूद धुल और गैस के साथ मिलकर उसके मुख्य आकार या नाभि के चारों ओर एक चमकदार पूंछ का निर्माण करते हैं, जिसकी चमक लाखों किलोमीटर दूर तक फैलती है, और जो देखने में बहुत ही आकर्षक होती है, पृथ्वी से इन्हे संयोगवश ही कभी सैंकड़ो या हज़ारों वर्षों में एक बार देखा जाता है ।
धूमकेतु की सरंचना (Structure of Comet)
धूमकेतु में मुख्यतः तीन भाग होते हैं:
- नाभि (Nucleus)
- कोमा (Coma)
- पूंछ (Tail)
नाभि: नाभि धूमकेतु का केंद्रीय हिस्सा होता है जो मुख्यतः बर्फ और चट्टानों से निर्मित होता है।
कोमा: कोमा धूमकेतु के नाभि के चारों ओर मौजूद गैस और धुल के आवरण को कहते हैं।
पूंछ: जब धूमकेतु अपने परिक्रमण काल के दौरान सूर्य के नजदीक़ आते है, तब नाभि और कोमा में मौजूद बर्फ और गैस सूर्य की गर्मी के कारण पिघलकर पूंछ का निर्माण करते हैं ।
कुछ ज्ञात धूमकेतु के नाम
- 1P/Halley
- P/Shoemaker-Levy 9
- Oumuamua
- ISON
- C/2013 A1 Siding Spring
- C/1995 O1 (Hale-Bopp)
- C/1861 G1 (Thatcher)
- 9P/Tempel 1
- 81P/Wild (Wild 2)
- 67P/Churyumov-Gerasimenko
- 55P/Tempel-Tuttle
- 2P/Encke
- 2I/Borisov
- 21P/Giacobini-Zinner
- 19P/Borrelly
- 109P/Swift-Tuttle
- 103P/Hartley (Hartley 2)
Kuiper Belt
Kuiper Belt सौर मंडल के बाहर disk के आकार का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ लाखों की संख्या में छोटे-बड़े बर्फीले पिंड और कुछ बौने ग्रह पाए जाते है। प्लूटो, होमिया, और मेक्मेक जैसे बौने ग्रह इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं। जो धूमकेतु 200 वर्ष या उससे कम समय में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करते है, उनका मूल क्षेत्र Kuiper Belt ही है।
इस क्षेत्र की खोज एक डच खगोल वैज्ञानिक Gerard Kuiper के द्वारा 1951 में की गयी थी, और उन्ही के नाम पर इस क्षेत्र का नाम Kuiper Belt पड़ा। हालंकि इसके अस्तित्व की भविष्यवाणी बहुत पहले ही कर दी गयी थी।
Kuiper Belt की सिमा Neptune ग्रह के कक्ष से शुरू होती है, जिसकी दुरी सूर्य से 30 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट (AU) है और इसकी सिमा सूर्य से 55 AU की दुरी पे खत्म होती है। या यु कहें की सूर्य से 30 से 55 AU दूर का क्षेत्र Kuiper Belt है।
नोट: 1 AU या एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट 149,597,871 किलोमीटर के बराबर होता है।
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1 Comments
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