हंसकर चूमा था, फंदे फांसी के जिसने...
वो दिलेर 'भगत' वतन का था !
'भगत' वो इस मिट्टी का था...
जिगर अहल-ए-वतन का था !!
उम्र थी छोटी...
लक्ष्य विशाल था !
अयस थे इरादे...
वो बंदा कमाल था !!
की दिल में थी चिंगारी...
वतन के आजादी की !
की आँखों में थे शोले...
दुश्मनों के बर्बादी की !!
की चली थी जिस दिन गोली...
जलियांवाला बाग़ में !
कूद पड़ा था, उसी दिन वो...
क्रांतिरुपी आग में !!
'सिंह' सा क्रोध उसका...
संकल्प चट्टानी था !
हिला दी नींव अंग्रेजों की...
वो 'भगत' बड़ा तूफानी था !!
तूफानी थे उसके तेवर...
तूफानी उसकी बोली थी !
की अंग्रेजों के रक्त से उसने...
रंगी अपनी चोली थी !!
रोया था आसमाँ भी उस दिन...
जब उसने वीरगति पायी थी !
की सन्नाटा ही सन्नाटा था...
जब धरा से हुई उसकी विदाई थी !!
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1 Comments
Great job👍
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