जिंदगी में अक्सर, ऐसे भी मोड़ आते हैं ....
जहाँ खून के रिश्ते भी, साथ छोड़ जाते हैं !
बड़ी बेरुखी से मोड़ लेते हैं नजरें, बेगानों की तरह....
और निजी स्वार्थ में, अपनों का हीं दिल तोड़ जाते हैं !!
कई बेगाने भी होते हैं ऐसे ...
जो आकर, दिल का रिश्ता जोड़ जातें हैं !
मिल जाते हैं किसी मोड़ पे, सहारों की तरह ...
और राहे जिंदगी को, दे एक प्यारा मोड़ जातें हैं !
रिश्तों की अहमियत, नाम से नहीं होती...
प्यार की भावना, आम नहीं होती !
गिर जाती, वो मनोहर गगनचुम्बी इमारतें ...
गर इसके पीछे, ईंटें नीवों की कुर्बान नहीं होती !!
परन्तु इस छोटे से जीवन में ...
जीने की होड़ लगी है !
चाँद दौलत की खातिर ...
भेड़ियों की दौर लगी है !!
मत भूल कमाई दौलत तो लूट जायेगी मरने के बाद...
पर कमाई इज्जत लोगों के जेहन में, एक छाप छोड़ जाती है !
हो सके तो मत तोड़ना, सच्चे रिश्ते निजी स्वार्थ में ...
क्योंकी यहाँ तो जिंदगी भी, अंत में तन्हा छोड़ जाती है !!
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