ना सत्ता की है भूख मुझे, ना चाहिए मुझे कोई धन !
मुझको तो चाहिए केवल, एक शांतिपूर्ण जीवन !!
वो करते बात गरीबों की, पर रहता सदा खजाने पे मन !
इन भ्रष्टाचारियों से, आज परेशान है जन जन !!
सम्प्रदायिकता की आग को, हवा देते रहते ये नेतागण !
आवाम की भावनाओं से, चलता है इनका राजनैतिक जीवन !!
शहीदों की चिता पर, करते हैं ये राजनीती का दमन !
पर आम आदमी हमेशा, बस चाहता है चैनों अमन !!
मैं आम आदमी, ज्यादा कुछ नहीं चाहता इन नेताओं से !
मुझे तो चाहिए केवल, भ्रष्टाचारियों का दमन !
अत्यचरियों पे लगाम, एक सुदृढ़ शसक्त शासन !
जहाँ ईमानदारी का हो रुतबा, अपराधियों के खौफ से मुक्त जीवन !!
मैं आम आदमी, और कुछ नहीं चाहता इन नेताओं से !
बस चाहता यही की, सुख समृद्धि से आबाद रहे भारत का चमन !
बस चाहता यही की, कपड़ों से ढका रहे गरीबों का तन !
युवा बेरोजगार न रह जाएँ, बनाने के लिए आपराधिक संगठन !
मैं हूँ एक आम आदमी, और यह है एक आम आदमी का चिंतन !!
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1 Comments
True lines...
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